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कालसर्प दोष का नाम सुनते ही कुछ लोगों के मन एक डर सा बैठ जाता है, क्यूंकि कालसर्प दोष के कारण जातक को कई प्रकार की परेशानियां झेलनी पड़ सकती है। कालसर्प दोष के कारण सूर्यादि सप्तग्रह अपना शुभफल नहीं दे पाते हैं। जिसकी वजह से जातक को मेहनत करने के बाबजूद भी उसका फल नहीं मिल पाता है। जातक कई सारी चिंताओं से घिरा रहता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है तो घबराने की जरूरत नहीं, क्यूंकि कुछ आसान और अचूक उपायों को करने से इसके असर को कम किया जा सकता है।
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कई बार ऐसा भी देखा गया है कि जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होने के बाद भी उसे वह हर सुख प्राप्त होता है जिसकी वह इच्छा रखता है इसलिए अगर आपकी कुंडली में भी कालसर्प दोष है तो आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है यहां पर हम आपको कुछ आसान उपाय बता रहे हैं जिन्हे करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है ।
जब कुंडली में राहु और केतु के बीच सारे ग्रह आ जाएं तो उसे कालसर्प दोष कहा जाता है। कुछ लोग इसे कालसर्प योग भी कहते हैं ।
कालसर्प दोष को दूर करने के लिए व्यक्ति को भगवान शिव की शरण में जाना चाहिए। क्योकि भगवान शिव ही नाग यानि सर्पों के अधिष्ठाता देव है। उनकी उपासना करने वाले व्यक्ति को कभी भी कालसर्प दोष के नकारात्मक परिणामों को नहीं झेलना पड़ता है।
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सोमवार के दिन भगवान शिवजी की शिवलिंग गंगाजल मिले जल से महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार लगातार 7 दिनों तक अभिषेक करने के बाद चंदन युक्त धूप, तेल, सुगंध अथवा इत्र अर्पित करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है ।
कालसर्प दोष को दूर करने के लिए सावन माह का समय सबसे उत्तम माना गया है सावन माह में नागपंचमी के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से, व्रत करने से और नाग देव की उपासना करने से कालसर्प दोष से शीघ्र मुक्ति मिलती है ।
कालसर्प दोष से निवारण के लिए आप मोर पंख के पंखा को पवित्र स्थान पर रखें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए हुए सुबह और रात में सोने से पहले पंखा से उनकी हवा करें। ऐसा करने से कालसर्प दोष का अंत होता है।
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जटा वाला नारियल अपने ऊपर से 7 बार उतारकर बहते हुये जल में बहा दें । मन में यह भावना करें की कालसर्प दोष का प्रभाव हो रहा है ।
चंदन की माला से राहु के इस बीज मंत्र- 'ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः' का जप शिव मंदिर में जाकर करने से कालसर्प दोष की परेशानियों से तुरंत लाभ मिलता है ।
भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है। इसलिए संभव हो सके तो सावन के महीने एक बार भगवान शिव का रुद्राभिषेक जरूर कराएं और अगर यह रुद्राभिषेक सावन माह की नाग पंचमी के दिन करवाएं तो इसका कई गुणा फल मिलता है और जातक को शीघ्र ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है ।
किसी भी पंचमी के दिन शिव मंदिर में जाकर, शिवलिंग पर जल चढ़ाकर लाल गुलाब अर्पित करें फिर रुद्राक्ष की माला से 108 बार ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे आपको कालसर्प दोष के प्रभाव से राहत मिलेगी।
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एक नारियल का सुखा गोले में छेद करके चीनी या बूरा भर दें। अब इस गोले को किसी पीपल अथवा बड़ की जड़ में इस प्रकार से सुरक्षित दबा दें जिससे कि इसमें चीटियाँ उस गोले को खा सकें । इस उपाय से शीघ्र ही कालसर्प से मुक्ति मिलती है ।
इस योग में महामृत्युंजय मंत्र का जप करना अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है। इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला करने से लाभ मिलता है।
पवित्र होकर हनुमान मंदिर में जाकर एक दीपक जलाएं और उसके बाद " ऊँ हनुमते नमः " मंत्र का 108 बार जाप करें।
मंगलवार एवं शनिवार को रामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ श्रध्दापूर्वक करें।
शाम के समय शिवालय में शिवजी के सामने घी का दीपक जलाएं।
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सुबह और शाम को हनुमान चालीसा का पाठ करें ।
प्रतिदिन शिवजी का जल से अभिषेक करें और बेलपत्र चढ़ाएं ।
धार्मिक स्थान या जरुरतमंद को जल और अन्न का दान करें ।
मोर का पंख सदा अपने निवास स्थान पर रखें।
प्रतिदिन महा मृत्युंजय मन्त्र का जाप करें।
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हनुमान चालीसा का प्रतिदिन 108 बार जप करें।
शनिवार को पीपल के वृक्ष की पूजा करें।
शिवलिंग पर चांदी से बना नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाए।
प्रतिदिन पक्षियों को दाना डालने से दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
इस दोष को दूर करने के लिए शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाना चाहिए।
शिवजी को विजया, अर्क पुष्प, धतूर पुष्प, फल चढ़ाएं तथा दूध से रुद्राभिषेक करवाएं।
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नाग-नागिन का जोड़ा चांदी का बनवाकर पूजन कर जल में बहाएं।
नागपंचमी को शिव मंदिर की सफाई, मरम्मत तथा पुताई करवाएं।