Plz Share |
हिन्दू धर्म में शुभ मुहूर्त का बहुत महत्व होता है। अधिकांशतः ऐसा होता है जब हम किसी नए काम की शुरुआत करने जा जा रहे होते हैं तो सबसे पहले हम शुभ मुहूर्त को देखते हैं या किसी पण्डित जी से शुभ मुहूर्त के बारे में पूंछते हैं और पूरी कोशिश करते हैं कि शुभ कार्य या कोई नया कार्य उसी शुभ मुहूर्त में संपन्न हो।
फिर चाहें नया वाहन खरीदना हो, नया घर खरीदना हो, नया घर बनवाने की शुरुआत हो या फिर गृह प्रवेश हो, शादी विवाह की बात हो या फिर सगाई की रस्म करनी हो, या नया कोई व्यापार शुरू करना हो, ऑफिस या दूकान का उद्द्घाटन हो करना हो ऐसे बहुत से नए और शुभ कार्य होते हैं जिनको करने से पहले हम शुभ मुहूर्त या शुभ समय का जरूर विचार करते हैं।
शुभ मुहूर्त के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है जैसे दिन, तिथि, मुहूर्त, चौघड़िया, नक्षत्र आदि का विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। वैसे तो सारे दिन ईश्वर के बनाये हुए हैं लेकिन फिर भी किसी नए शुभ कार्य की शुरआत करने के लिए आपको सही समय का चयन करना जरुरी होता है। तो आइये हम आपको बताते हैं कि कौन सी तिथि, कौन सा दिन, कौन सा मुहर्त या किस चौघड़िया में कार्य को सम्पन करना शुभ माना जाता है।
शुभ और श्रेष्ठ माह : हमारे हिन्दू धर्म के अनुसार मासों में चैत्र माह , वैशाख माह, कार्तिक माह , ज्येष्ठ माह, श्रावण (सावन माह ), अश्विनी (कुवांर माह), मार्गशीर्ष (अगहन माह), माघ (माह का महीना), फाल्गुन माह श्रेष्ठ माने गए हैं लेकिन उनमें से भी चैत्र माह और कार्तिक माह को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
शुभ और श्रेष्ठ पक्ष : हर महीने में दो पक्ष होते हैं पहला कृष्णपक्ष और दूसरा शुक्लपक्ष। दोनों का समय 15 -15 दिन होता है। पूर्णमासी के बाद प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक के समय को कृष्णपक्ष कहते हैं, इस समय अवधि में चन्द्रमा घटता हुआ दिखाई देता है। अमावस्या के दूसरे दिन से मतलब प्रतिपदा से लेकर पूर्णमासी तक का समय शुक्लपक्ष कहलाता है। इस समय अवधि में चन्द्रमा बढ़ता हुआ दिखाई देता है। अर्थात शुभ कार्य करने के लिए शुक्ल पक्ष का चुनाव करना चाहिए।
शुभ और श्रेष्ठ दिन : सप्ताह के सातो दिनों में से रविवार, मंगलवार और गुरुवार को श्रेष्ठ माना गया है। इनमें से भी गुरुवार को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्यूंकि गुरु की दिशा ईशान में है और ईशान में ही सभी देवी देवताओं का वास होता है इसलिए गुरुवार को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वैसे तो आप किसी भी दिन शुभ मुहूर्त में कार्य संपन्न कर सकते है लेकिन शनिवार को किसी नए और शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
शुभ और श्रेष्ठ समय : वैदिक नियमानुसार दिन और रात में दिन का ही समय श्रेष्ठ माना गया है। इसलिए कोई भी नया या शुभ कार्य प्रारम्भ करना हो तो दिन के समय ही करें।
शुभ अभिजीत मुहूर्त : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अभिजीत मुहूर्त (Abhijit Muhurat) को दिन का सर्वाधिक शुभ मुहूर्त माना जाता है। इसकी समयावधि 45 मिनट की होती है अभिजीत मुहूर्त में सम्पन किया हुआ कार्य अति शुभफलदायक माना गया है। वैसे तो इसका समय सूयोदय के समय के हिसाब तय किया जाता है फिर भी सामान्यतः पुरे वर्ष के 365 दिन में 11:45 A.M से 12:45 P.M तक के समय को अभिजीत मुहूर्त कह सकते हैं।
शुभ और श्रेष्ठ चौघड़िया : प्रत्येक दिन और रात को 7 चौघड़ियों में बांटा गया है। जो इस प्रकार है - शुभ चौघड़िया, लाभ चौघड़िया, अमृत चौघड़िया, चर चौघड़िया, काल चौघड़िया, रोग चौघड़िया, और उद्वेग चौघड़िया । इसमें से शुभ, अमृत और लाभ चौघड़िया को ही श्रेष्ठ माना गया है और इनमे से भी शुभ चौघड़िया को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसलिए किसी शुभ कार्य के लिए शुभ चौघड़िया के समय को चुने।
राहुकाल और भद्रा से बचें : किसी भी नए कार्य या शुभ कार्य की शुरुआत करने के लिए राहुकाल और भद्रा के समय का त्याग करना करना चाहिए। कहने का मतलब ये हैं कि राहुकाल और भद्रा में भूल कर भी किसी नए शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। राहुकाल और भद्रा का समय अशुभ माना गया है।