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पथरी का आयुर्वेदिक इलाज, उपचार

एक पत्थरचट्टा नाम का पौधा होता है जिसे कई नामों से जाना जाता है कोई इसे पाषाणभेद कहता तो कोई पणफुट्टी तो फिर कुछ लोग भष्मपथरी भी कहते है, वैसे इसका एक और भी नाम से जाता है जिसे पखानबेद के नाम से जाना जाता है ! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र कुछ दिनों मे ही पूरी पथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!!

सेवन की विधि : दो पत्ते तोड़े, उसको अच्छी तरह पानी से धोने के बाद सुबह सुबह खाली पेट चबा कर खाले, हलके गरम पानी के साथ ! एक हफ्ते के अन्दर पथरी विघटित हो कर शरीर से निकल जाएगी

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पथरी होने पर पानी का अधिक सेवन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन कुछ पेय पदार्थ ऐसे भी होते हैं जो पथरी होने पर नहीं पीना चाहिए। स्टोन होने पर सोडा का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए, इसमें फॉस्फोरिक एसिड होता है जो स्टोन के खतरे को बढ़ाता है।

किड्नी स्टोन होने पर टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, चाय, आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए। तिल, काजू अथवा खीरे, आंवला, में भी आक्सेलेट अधिक मात्रा में होता है इनका भी सेवन न करें। बैगन, फूलगोभी में यूरिक एसिड व प्यूरीन अधिक मात्रा में होता है, इनका भी सेवन न करें

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ऐसे आहार का सेवन बिलकुल न करें जिसमें ऑक्सलेट पाया जाता हो, क्योंकि यह कैल्शियम के साथ मिलकर कैल्शियम ऑक्सलेट स्टोन बना सकता है। पालक, चॉकलेट, नट्स, साबुत अनाज आदि में ऑक्सलेट पाया जाता है, पथरी में इनका सेवन न करें।

सोडियम का अधिक सेवन करने से कैल्शियम स्टोन और फॉस्फेट स्टोन के होने का खतरा बढ़ जाता है। कैल्शियम जब ऑक्सलेट और फॉस्फोरस के साथ मिलता है तब पथरी बनती है। इसलिए एक दिन में 2300 मिग्रा से अधिक सोडियम का सेवन न करें। फास्ट फूड, अचार, डिब्बा बंद आहार, मांस में सोडियम अधिक पाया जाता है, इनके सेवन से बचें।

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जानवरों में पाये जाने वाले प्रोटीन की मात्रा सीमित कर देनी चाहिए, इससे कैल्शियम स्टोन और यूरिक एसिड स्टोन के होने का खतरा बढ़ जाता है। मछली, मांस, में प्रोटीन के साथ कैल्सियम की मात्रा अधिक होती है, इसलिए पथरी में इनका सेवन नहीं करना चाहिए।

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